
भोपाल गैस त्रासदी ताकी सनद रहे बाकी शुरू करते हैं यूनियन कार्बाइड से। एक ऐसा कलंक, जो हमारे माथे पर गहरा लगा है। हादसे ने तो इसे दुनिया के सामने जाहिर कर दिया। देश भर में हर दिन होने वाले छोटे-मोटे हादसों का सबसे बड़ा प्रतीक, जिनमें हमारी व्यवस्था उतने ही निष्ठुर और निर्मम रूप में सामने आती है, जितनी भोपाल में देखी गई। तारीख क्क् जनवरी ख्क्क्। गैस पीड़ित औरतों की दुनिया में दाखिल होने से पहले मैं इसी कलंकित कार्बाइड को नजदीक से देखना चाहती थी। कीटनाशकों के उत्पादन का यह अमेरिकी उद्योग, जो भारत में मौत का दूसरा भयावह नाम बन गया। हादसे के ढाई दशक गुजरने के बाद वह किस हाल में है, यह जानने के लिए मैंने उसी की तरफ कदम बढ़ाए। मैंने जानबूझकर वहां तक जाने का लबा रास्ता चुना जो पुराने भोपाल से होकर जाता है। भोपाल की इन्हीं सड़कों पर उस रात मौत का तांडव हुआ था। इन पर अब तक लाखांे पन्ने लिखे जा चुके हैं। हजारों लैक एंड व्हाइट तस्वीरें छपी हैं। मैंने भी देखी हैं। लाशों के ढेर। बच्चे, बूढ़े, जवान, औरतें और पशु-पक्षियों की मौत से लबालब तस्वीरें। मौत अपनी फितरत के मुताबिक ही बेरहम थी। उसने हिंद...