बेहतर दुनिया के लिए के लिए बेहतर शब्द चाहिए .शब्द पंखों की तरह हलके ,मुलायम, सुनहरे ,उर्जावान हों जो हमें दुनियाकी सैर करादें.जो नीले गगन से लेकर खुरदुरी जमीं पे भी लायें तो खुरदुरे पन का एहसास न हो .क्या हम गढ़ सकते हैं एसे शब्द?
बोले रे पपिहरा
स्वाति एक नक्षत्र हे जिसकी बूंदें सिप में गिरकर अनमोल मोती बनती हें .नक्षत्र जिसके लिए चातक पक्षी वर्षभर प्यासा रहता हे स्वाति नक्षत्र की बुँदे उसके लिए अम्रत बनती हे .जिसकी बुँदे कदली के पत्तों पर गिरकर कपूर बन उड़ जाती हे .एक नक्षत्र जिसकी बूंदें शेष नाग के मुंह में गिरजाये तो जहर बनती हे .स्वाति एक नक्षत्री बादल .स्वाति अनमोल मोती का सृजक .पपीहे की प्यास .पत्ती.. पे ओस की रुकिहुई बूंद .शेषनाग का अलंकार .
बिल्कुल जी..गढ़ते चलिये. अनेक शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंसादर वन्दे!
जवाब देंहटाएंशब्द ऐसे हों जो निशब्द ना लगें, बाकी गढ़ने से तो भगवान गढ़ जाते हैं, फिर शब्द तो उसका दूसरा रूप ही होता है.
रत्नेश त्रिपाठी
swati ji ki anya kahaniya padhi thee. aaj achar.. padhkar unke shabd shilapankan se aur adhik prabhawit hua. swati ji aapko hardik badhai.niymit read karunga. ashok manwani,bhopal
जवाब देंहटाएंbehtar shabdo ka to khajana hai aapke paas tai ji.
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