बोले रे पपिहरा
स्वाति एक नक्षत्र हे जिसकी बूंदें सिप में गिरकर अनमोल मोती बनती हें .नक्षत्र जिसके लिए चातक पक्षी वर्षभर प्यासा रहता हे स्वाति नक्षत्र की बुँदे उसके लिए अम्रत बनती हे .जिसकी बुँदे कदली के पत्तों पर गिरकर कपूर बन उड़ जाती हे .एक नक्षत्र जिसकी बूंदें शेष नाग के मुंह में गिरजाये तो जहर बनती हे .स्वाति एक नक्षत्री बादल .स्वाति अनमोल मोती का सृजक .पपीहे की प्यास .पत्ती.. पे ओस की रुकिहुई बूंद .शेषनाग का अलंकार .
bas ek bar ma ke aanchal me aa jaye fir ye sab shukh swath hi mil jate he
जवाब देंहटाएंbahut sundar
जवाब देंहटाएंhttp://sanjaykuamr.blogspot.com/uronsesh
sahi kaha maa ke aanchal se thandi chaanv kahin nahi...
जवाब देंहटाएंbhutkhub sundar prstuti swatiji .dil ki kalm se banaya vichar
जवाब देंहटाएंsundar atisundar
जवाब देंहटाएंkavita ki tarh ka chitr wah.
जवाब देंहटाएंye chitra nahi swatiji ki kavita lagti he
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