क्या जबान फिसल गई थी ?

वाह विभूति नारायण जी वाह क्या भाषा हे एक कुलपतिजी की ?जिस विश्वविध्यालय में आचार्यजी इतनी सुसंस्कृत शब्दावली में नारी का सम्बोदन करते हों वंहा की हिंदी दुनियाभर में नाम रोशन करेगी .महात्मा गाँधी हिंदी वि वि के कुलपति ने नया ज्ञानोदय मे लेखिकाओं के लिए जिस अपशब्द का उपयोग
किया हे उसपर पहली प्रतिक्रिया उनकी लेखिका पत्नी ने देनी चाहिए थी .किसी एक लेखिका की आत्म कथा को सभी लेखिकाओं के सन्दर्भ मे केसे रखा जा सकता हे । हिंदी संस्कृति के विरुध उनकी बयानबाज़ी उनकी हलकी ,निम्न मानसिकता का परिचय देती हे .हर हाल मे किसी लेखक की रचना का सम्मान होना चाहिए
.पढ़ा लिखा कुलपति भी जब अपनी जिव्हा को लगाम देकर नहीं रखेगा तोआम लोगों से क्या उम्मीद किजा सकती हे .दर असल देश की विभूतियों को भी महिला रचना करों के सम्मान का ख्याल रखना चाहिए .उनके वि वि के तमामविद्यार्थी .शिक्षक इस बात पर नाराजगी जताएं । ये लेखिका नहीं नारी अवमानना की बात हे
नाम विभूति होने से व्यक्ति विभूति नहीं हो जाता हे । उसके कर्म उसे विभूति बनाते हे विभुतिजी । अपशब्द आप की पत्नी ने आपके लिए कभी बोले हे क्या ?आप से ऐसी कमसे कम ऐसी भाषा की कल्पना साहित्य जगत तो नहीं करता .

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