बोले रे पपिहरा
स्वाति एक नक्षत्र हे जिसकी बूंदें सिप में गिरकर अनमोल मोती बनती हें .नक्षत्र जिसके लिए चातक पक्षी वर्षभर प्यासा रहता हे स्वाति नक्षत्र की बुँदे उसके लिए अम्रत बनती हे .जिसकी बुँदे कदली के पत्तों पर गिरकर कपूर बन उड़ जाती हे .एक नक्षत्र जिसकी बूंदें शेष नाग के मुंह में गिरजाये तो जहर बनती हे .स्वाति एक नक्षत्री बादल .स्वाति अनमोल मोती का सृजक .पपीहे की प्यास .पत्ती.. पे ओस की रुकिहुई बूंद .शेषनाग का अलंकार .
बहुत ही खूबसूरत
जवाब देंहटाएंअति सुंदर
जवाब देंहटाएंस्वाति की सुन्दर व्याख्या!
जवाब देंहटाएंस्वाति की सुन्दर व्याख्या के साथ खूबसूरत चित्र ... मन को भा गए ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति हेतु आभार ..