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‘‘रियलिटी शो एवं सामाजिक जीवन मूल्य’’

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 स्वाति तिवारी एक समय था जब आम घरों में एक रेडियो हुआ करता था, जो अपने निर्धारित समय पर राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय समाचार का प्रसारण करता था और शेष समय मनोरंजन के कार्यक्रम जैसे फरमाइशी गीत, बिनाका गीतमाला, हवामहल, महिलाओं के कार्यक्रम और जानकारीवर्धक जैसे खेती गृहस्थी, कृषक जगत, जान है जहान जैसे कार्यक्रम देता था। हवामहल पर नाटक का प्रसारण होता था जो पूरा परिवार एक साथ सुन सकता था। फिर आया दूरदर्शन लोगों ने कहा ये तो जादू का पिटारा है। लोगों में उत्साह और जिज्ञासा थी दूरदर्शन के प्रति। साफ सुथरा ‘‘हम लोग’’ 15 जुलाई 1984 से प्रारम्भ हुआ जो पहला सोपओपेरा एवं प्रायोजित कार्यक्रम था मनोहर श्याम जोशी द्वारा लिखित 156 किश्तों वाला यह धारावाहिक मध्यमवर्गीय परिवार की दास्तान था। फिर बुनियाद रामायण, महाभारत जैसे लोकप्रिय धारावाहिक आने लगे। ये कार्यक्रम घर के ड्राईंगरूम में परिवार की तीन पीढ़ियाँ और पड़ोसी मित्र भी बैठकर एक साथ देखा करते थे और आज? मल्टीचैनल युग में रियलिटी शो के नाम पर जो कुछ दर्शकों को परोसा जा रहा है उसे पूरा परिवार, मित्र और पड़ोसी तो छोड़िये पति-पत्नी भी अपने बेडरूम में एक सा

आत्मा, ईमान और नैतिकता मर जाए तो कितने दिन का शोक रखा जाना चाहिए ?

डा. स्वाति तिवारी भारतीय संस्कृति में किसी व्यक्ति की मृत्यु पर बारह-तेरह दिन तक मृत्यु का शोक रखा जाता है। इन दिनों आत्मा की शांति के लिए पाठ एवं क्रियाकर्म किए जाने की परम्परा है। पर यक्ष प्रश्न यह है कि व्यक्ति का शरीर नहीं मरे पर आत्मा, ईमान और नैतिकता मर जाए तो कितने दिन का शोक रखा जाना चाहिए और तब मृत्यु आत्मा को जाग्रत करने के लिए कौन-कौन से पाठ क्रियाकर्म किए जाना चाहिए और हमारे देश में यह भी मान्यता है कि अगर असमय मृत्यु हो जाए तो उस अकाल मृत्यु के मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है तब आत्मा प्रेत योनी में भटकती रहती है। पर यहाँ भी यक्ष प्रश्न यह है कि आत्मा के इंसान की अकाल मृत्यु होने पर जो भ्रष्टाचार का भूत अपना शिकंजा फैला कर कार्यालयों में, योजनाओं में, खेलकूद में, न्याय व्यवस्था में, खाई बनाने से लेकर बेचने और खिलाने में भ्रष्टाचार का भूत खुलेआम तांड़व कर रहा है उसकी निवृत्ति के लिए शास्त्रों ने हमें कोई समाधान क्यूँ नहीं दिए? यह भूत अब लोगों को डराता भी नहीं है और भीड़ से, जनता से डरता भी नहीं है। भ्रष्टाचार जाल जीवन के हर क्षेत्र में फैल गया है। यह सियासी लोगों से लेकर खेल