विचारों की एक नदी हम सब के अंतस में बहती है प्रवाह है कि थमने को तैयार नहीं और थमना भी नहीं चाहिये अंतस का यही प्रवाह तो अभिव्यक्ति का उदगम है बस थामे रहिये इस उदगम को विचारों का मंथन जाने कब कोई रत्न उगल दे विचारों कि यह नदी जाने कितने झरनों के साथ मेरे अंतर्मन में भी प्रवाहमान है जब तक है तब तक लिखना भी रोजमर्रा में शुमार है अभिव्यक्ति का आकाश भी अनंत है इस शीर्षक चित्र कि तरह रंग है तो उगते सूरज कि लालिमा पर शब्दों के अक्षत लगाते रहिये संभावनाओं के असीम आकाश पर स्वागत है आपका
hi swati..
जवाब देंहटाएंi was jst going thru your website..
the writings are very beautiful..only thing.. it takes a long time for me to read.
the water fall is too beautiful and as u wrote swactch.. can we too make our mind clean like this>