अंजुरी में भर कर

एक फूल ब्रह्मकमल का
अचानक मिलगया मुझे
हाथेली के बीच
अंजुरी में भरकर
जिसकी पंखुरियों पर
लिखा था तुम्हारा नाम
मेरे नाम के साथ
एक फूल ब्रह्मकमल का
कर गया
मेरे यादों के उपवन को
फिर हरा भरा
एक फूल ब्रह्मकमल का
महका गया ,
मेरे मन को मेरे तन को
इनमहकती पखुरियों से
यादआई तेरी बातों की
तेरी महकती बातों की
यादों से एक फूल
ब्रह्मकमल का
अच्छा लगता था
रोज भोर से पहले तुम्हारा
मुझे देना ब्रह्मकमल
ब्रह्मकमल के अर्पण के बहाने
मेरी अंजुरी को छूना
वे ओस से भीगे लम्हे ही
लाते थे सोगातें प्यार की
तुम आते थे साथलाते थे
एक फूल ब्रह्म कमल का --------हाँ एक फूल
ब्रह्मकमल का




































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