रेशमी नदी जीवन राग की
न मै सच हूँ
,न तुम सच हो ,
सच है हमारा साथ
कितने वर्ष हुए इसे
नहीं जानती मै
जानती हूँ उस एक पल कों
जब तुम्हारे साथ चली थी मै
तभी से ,
सात रंगों का झरना
झरता रहा मन के भीतर
लगा था कोई चीड़ियाँ
चहक रही थी
झाड़ी मे छिपकर
रंगों का इंद्र धनुष
उतर आया था हम पर
तभी से , नदी रेशमी जीवन राग की
बह रही है अन्तःस्थल मे
,न तुम सच हो ,
सच है हमारा साथ
कितने वर्ष हुए इसे
नहीं जानती मै
जानती हूँ उस एक पल कों
जब तुम्हारे साथ चली थी मै
तभी से ,
सात रंगों का झरना
झरता रहा मन के भीतर
लगा था कोई चीड़ियाँ
चहक रही थी
झाड़ी मे छिपकर
रंगों का इंद्र धनुष
उतर आया था हम पर
तभी से , नदी रेशमी जीवन राग की
बह रही है अन्तःस्थल मे
I love it..this is a beautiful poem.
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