जीवन एक मुखर प्रश्न

मन के केनवास पर उभरते प्रश्न
कभी उत्तरित नहीं होते
और
कभी अनुत्तरित भी नहीं रहते
इन उत्तरों अनुत्तरों के मध्य
प्रश्नकर्ता का प्रश्न
उत्तरदाता का मोन
या
कुछ कह्जाने की अद्य्म लालसा ,
पूछने बताने की अभिलाषा , स्पन्दित होती है
तब
लगजाते है कई प्रश्न चिन्ह
दे जाती है उत्तर मोन खामोशियाँ
ढल जाते है अकोश बिखर जाती दर्द की पखुरियां
भाव बह जाते हेनयन जल में
जिन्दगी खुद बन जाती है एक प्रश्नचिन्ह
ओर जीवन
एक मुखर प्रश्न ?

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