ब्रह्म कमल एक प्रेम katha
हिमालय की चोटियों पर
भोर होते से सांझ ढले तक
जब मन्दिरों से घंटे और शंखों की
आवाजें आती है
चट्टानों के बीच
अचानक कई ब्रह्मकमल खिल ऊठते है
प्रकृति के ये प्रस्फुटन होते है
कितने पवित्र ?
इतने पवित्र की
आस्था और विश्वास के साथ
श्रद्धा के फूल बन जाते है ---------------ब्रहमकमल .
स्वाति तिवारी { उपन्यास से ---------ली पंग्तियाँ }
भोर होते से सांझ ढले तक
जब मन्दिरों से घंटे और शंखों की
आवाजें आती है
चट्टानों के बीच
अचानक कई ब्रह्मकमल खिल ऊठते है
प्रकृति के ये प्रस्फुटन होते है
कितने पवित्र ?
इतने पवित्र की
आस्था और विश्वास के साथ
श्रद्धा के फूल बन जाते है ---------------ब्रहमकमल .
स्वाति तिवारी { उपन्यास से ---------ली पंग्तियाँ }
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