जनसंख्या स्थिरीकरण पर केन्द्रित हमारा विकास और जनसंख्या नियंत्रण डा. स्वाति तिवारी सामाजिक सरोकारों में मेरे सूचनातंत्र का सबसे प्रबल खबरची मेरी कामवाली बाई, माली और चौकीदार हैं। कल फिर कमलाबाई ने मेरे चिन्तन को नई दिशा दी। हुआ कुछ यूँ कि कमलाबाई कल अपने साथ एक और बाई लेकर आयी यह कहते हुए कि आपके बंगले में सर्वेंट क्वाटर खाली है आप इसको दे दो। कमरे के बदले यह झाडूफटका कर देगी। मैंने पहला ही सवाल किया कि परिवार में कितने लोग हैं? कमला ने ही जवाब दिया ‘‘पाँच बच्चे, पति पत्नी और सास बस।’’ ‘‘बस मतलब? और होने में क्या?’’ कमला मेरे रूख को पहचान गई फट से उसने बात संभाली पाँचों बच्चे साथ नहीं रहते बड़े वाले दोनों बच्चे गाँव में इसकी माँ के साथ रहते हैं, आते जाते है कभी - कभी। मैंने अपना गणित ठीक करते हुए गिना पाँच दो सात और एक आठ ? कमरा दस बाय दस का? एक कमरा मात्र? नहीं मुझे कमरा नहीं देना। कमरा बहुत छोटा है तुम्हारे परिवार के लिए। फिर आठ आदमी मतलब आठ बाल्टी पानी नहाने का और आठ बाल्टी अन्य काम के लिए। फिर बिजली, फिर घर की आबोहवा? बाई चली गयी। पर प्रश्न और चिन्तन छोड़ गई मैंने...