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आज का विचार ‘‘प्रत्येक दिन एक छोटा—सा जीवन है और हमारा सम्पूर्ण जीवन मात्र एक दिन है।’’ जोसफ हॉल
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कहानी रिश्तों के कई रंग अब कोई वर्जना नहीं यह मेरे प्रेम की शुरूआत थी, पर उसकी बेवफाई का चरम था। वह आयी थी अपनी ज़रूरतों के हिसाब से, पर रहते-रहते वह मेरी ज़रूरतों का हिस्सा बन गयी थी। उसका आना एक सहज घटना थी, जो मेरे द्वारा एक लड़की की मदद थी, पर आज की घटना एक अप्रत्याशित मोड़ था, जो चलते-चलते अचानक आ गया था। वह सफलता की मरीचिका में भटक रही है। एक ऐसी मरीचिका, जिसमें भटकते-भटकते जीवन और सफलता दोनों चूक जाते हैं और मंजिल तो दूर रास्ते भी दिखाई नहीं देते, उसे उसी मरीचिका का रास्ता दिख रहा था तभी तो वह बाय-बाय बोल कर दरवाजा भड़ीक कर चली गयी हमेशा के लिए....मैं बन्द होते-खुलते दरवाजे को टकटकी लगाए देख रहा हूँ। जानता हूँ अब वह कभी नहीं आयेगी....आना होता तो वह जाती ही क्यूँ? पर एक चाह सी थी मन में कि वह पलट कर आए....मेरे हाथ जोड़ कर अपनी गलती के लिए माफी माँगे और मैं उसे धक्के मार कर निकाल दूँ। मेरे अन्दर का पौरूष उसके यूँ जाने से आहत हुआ था। लगा वह मेरे वजूद पर लात मार कर चली गयी है। एक लड़की के द्वारा यूँ नकार देने पर मेरा 'मेल इगो हर्ट हुआ था। जानता था, वह बिल्कुल इमोशनल नहीं है, परफेक्ट...
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गांधी : विश्व समाज के निर्माता ऽ डा. स्वाति तिवारी तुम रक्तहीन तुम माँसहीन है ! अस्थिशेष तुम अस्थिहीन तुम शुद्ध-बुद्ध आत्मा केवल हे ! चिरपुराण .....हे चिरववीन । उक्त पंक्तियां महात्मा गांधी के लिए कही गयी थीं, क्योंकि वे कल भी प्रासंगिक थे और आज भी प्रासंगिक हैं। आधुनिक युग के एक महान पुरुष एवं युग निर्माता जिनके बगैर आधुनिक भारत की एवं यहाँ के सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। वे एक ऐसे भारतीय व्यक्तित्व थे जिन्होंने हमारे प्राचीन दर्शन एवं संस्.ति से प्रेरणा प्राप्त की, समकालीन विश्व ज्ञान एवं तकनीक को समझा एवं भावी विश्व-बंधुत्व वाले विश्व की कल्पना की। भारतीय इतिहास इस महान आत्मा का सदैव ऋणी रहेगा। वे इतिहास में सत्यनिष्ठ, समाज सुधारक, विचारक तथा मुक्त मनुष्य के रूप में स्थापित हुए। वे अपने आदर्शों एवं धार्मिक चिन्तन के कारण महात्मा कहलाए। उन्होंने राजनीति में नैतिकता का समावेश करके विश्व के सामने एक अद्भुत आदर्श प्रस्तुत किया। उनकी राजनीति सत्य और अहिंसा पर आधारित थी। सत्य और अहिंसा पर आधारित उनका जीवन दर्शन ''गांधीवाद'' कहा जाता ह...

अकेले होते लोग’’

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              आधुनिक सभ्य समाज में मनुष्य अपनी ही जड़ों से दूर होता जा रहा है और उसके आसपास अकेलेपन का रहस्यात्मक सन्नाटा छा रहा है। पीढ़ियों में अंतर और अन्तराल तो सदियों से रहे हैं - पर परिवार में कटते रिश्तों के जंगलों का उजाड़पन भय और पीड़ा दे रहा है। ‘‘अकेले होते लोग’’ कृति में युवा कथा लेखिका डॉ. स्वाति तिवारी ने इसी मर्म की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत करने की कोशिश की है। ‘‘अकेले होते लोग’’ आज के आस्थाहीन समाज में सत्य और अकेलेपन के संकट को और जीवन मूल्यों में आई डगमगाहट को एक संदेशात्मक लहजे में पूरी रोचकता और पढ़ने की जिज्ञासा के साथ परिभाषित करती है। यह पुस्तक समग्र स्वरूप में अकेलेपन से बचाने और बचने पर केन्द्रित है जिसे दो खण्डों में प्रस्तुत किया गया है। दोनों ही खण्ड एकदम अलग शैली में हैं । एक विश्लेषणात्मक है तो दूसरा कथा-व्यथा किन्तु पाठक को इससे कोई व्यवधान नहीं होता अपितु वह इसमें रमता जाता है। यह एक तरह का नवीन प्रयोग है जो आध्यात्मिक चिन्तन को नए स्वरूप में प्रस्तुत करने के साथ ही जाने अनजाने समाज द्वारा समाज के ...